CG Assembly Election 2023 : रमन के मुकाबले गिरीश को उतारने के यह है पांच कारण

राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार बनने के बाद गिरीश देवांगन ने कहा कि राजनांदगांव मेरा ननिहाल है, यह देख कर दुःख होता है कि 15 साल मुख्यमंत्री रहकर भी रमन सिंह राजनांदगांव का वैसा विकास नहीं करवा सके, जैसा होना था। राजनांदगांव से पिछले चार चुनाव से भाजपा के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह रहे। अब कांग्रेस में गिरीश देवांगन को मैदान में उतर कर एक नया दांव खेला है। राजनीतिक हल्के में चर्चा है कि आखिर कांग्रेस ने देवांगन को उनके गृह क्षेत्र धरसीवा या पड़ोसी विधानसभा सीट भाटापारा की जगह राजनांदगांव से क्यों उतरा। आईए जानते हैं रमन के मुकाबले गिरीश को उतारने के वह पांच प्रमुख कारण जिनकी सियासी गलियारे से लेकर पत्रकारों और कांग्रेस के रणनीतिकारों के बीच चर्चा है।

पहला कारण
गिरीश देवांगन की पहचान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी मित्र के रूप में होती है। भूपेश बघेल जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने तो गिरीश देवांगन को प्रदेश महामंत्री संगठन का जिम्मा सौंपा गया। 5 साल कांग्रेस संगठन के काम के बाद प्रदेश में सरकार बनी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने। इन 5 सालों के संघर्ष में भूपेश बघेल के साथ गिरीश देवांगन कंधे से कंधा मिलाकर चलते रहे। संगठन में नियुक्ति से लेकर अन्य फसलों को गिरीश ने मजबूती से लिया। आज वही टीम कांग्रेस की ताकत है। माना जा रहा है कि कांग्रेस संगठन के नेता गिरीश के साथ राजनांदगांव चुनाव में खड़े रहेंगे।

दूसरा कारण
गिरीश देवांगन की पहचान एक किसान नेता के रूप में है। वह खुद खेती और किसनी करते हैं और किसानों के मुद्दों को गंभीरता से समझते दिए हैं। आज की पत्रकार वार्ता में गिरीश देवांगन ने कहा कि यह चुनाव उस रमन सिंह के खिलाफ है जिसने 15 सालों तक छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ धोखा किया। रमन सिंह की नीतियों के चलते हजारों किसानों को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ा। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के लिए लगातार बाधा डालने का काम किया है, लेकिन फिर भी हमारी सरकार ने किसानों के हितों में कोई समझौता नहीं किया। दरअसल, राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में 70 फ़ीसदी मतदाता किसान है और खेती किसानी से जुड़े हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस ने एक किसान नेता को राजनांदगांव से उतार कर किसानों को अपने पाले में करने की बड़ी कवायत की है।

तीसरा कारण
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के कथित घोटाले को लेकर ईडी की लगातार कार्रवाई की। इसके जद में गिरीश देवांगन भी आए। माना जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई की जवाब में भाजपा के सबसे ताकतवर नेता के खिलाफ गिरीश देवांगन को उतार कर कांग्रेस यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि सरकार को आस्थिर करने की साजिश के खिलाफ मतदाता राजनादगांव में वोट करेंगे।

चौथा कारण
गिरीश देवांगन ओबीसी वर्ग से आते हैं। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था। इसे लेकर विधानसभा में आरक्षण संशोधन बिल भी लाया, लेकिन वह राजभवन में अटक गया। राजनादगांव में करीब 40 प्रतिशत वोटर ओबीसी वर्ग से आते हैं। कांग्रेस आरक्षण को गिरीश के बहाने बड़ा मुद्दा बनाना चाह रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि राजभवन के आरक्षण बिल का भाजपा लगातार विरोध करती रही है। अब इसे कांग्रेस चुनाव प्रचार का हिस्सा बना रही है।

पांचवा कारण
प्रदेश के चुनाव मैदान में अदानी के हाथों गई कोयला खदाने प्रमुख मुद्दा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक दिन पहले ही कहा कि राजनांदगांव में अदानी की हार होगी और कांग्रेस की जीत होगी। दरअसल गिरीश खनिज विकास निगम के अध्यक्ष थे। कोयला खदानों को लेकर कांग्रेस सरकार के काम और भाजपा की अदानी परास्त नीतियों के विरोध में गिरीश प्रमुख चेहरे हैं।