अपने सृजन से महात्मा गांधी का संदेश देने जुटे शिल्पकार-चित्रकार

छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद द्वारा चित्रकला-मूर्तिकला शिविर जारी

रायपुर। संस्कृति विभाग परिसर आर्ट गैलरी में कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित चित्रकला-मूर्तिकला शिविर में शिल्पकार-कलाकार अपनी कृतियों को आकार देने व्यस्त हैं। यहां आगंतुकों के लिए कलाकारों को सृजन के नए आयाम गढ़ते हुए देखना एक अलग अनुभव है। 

7 नवंबर से 13 नवंबर तक चलने वाले इस शिविर में हिस्सा ले रहे शिल्पकार-कलाकार एक दूसरे की शैली से परिचित हो रहे हैं और अपनी कला और बेहतर ढंग से निखार रहे हैं। 

अमनुल हक
हुकुम लाल वर्मा
दीक्षा साहू
करुणा सिदार

योगेंद्र त्रिपाठी,अध्यक्ष कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद छत्तीसगढ़ शासन ने बताया कि महात्मा गांधी की स्मृति में उनके विचारों पर आधारित इस चित्रकला-मूर्तिकला कार्यशाला में कलाकारों ने बेहद सुंदर कलाकृतियां मौके पर सृजित की हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति विभाग के प्रांगण में आयोजित इस कला शिविर में राज्य के कई रतन कलाकार भाग ले रहे हैं। यहां पर युवा चित्रकार एवं वरिष्ठ चित्रकार मूर्तिकार संग कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए व कलाकारों के लिए यह एक बेहद महत्वपूर्ण समय है।

वरिष्ठ चित्रकार हुकुम लाल वर्मा ने यहां एकांत को दर्शाता एक चित्र कैनवास पर बनाया है। वे इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से जुड़े हुए प्रथम पंक्ति के चित्रकारों में से है और इनके बनाए चित्र आज विश्व में छत्तीसगढ़ की पहचान के रूप में जाने जाने जाते हैं प्रकृति व धान के खेत अपने चित्रों में विशेषकर दर्शाते हैं।

चर्चित चित्रकार अमनुल हक ने यहां महात्मा गांधी की यात्रा का संदेश देता चित्र बना रहे है। जिसमें गांधी जी सागर के किनारे दांडी यात्रा निकलने से पहले एकांत में चलते हुए दिख रहे हैं। पैर में चप्पल पहने गांधीजी समुद्र किनारे आगे बढ़ते हुए उनके चित्र में दिखाई दे रहे हैं। 

शिल्पकार राम कुमार इंदौरिया यहां शिविर में लकड़ी पर एक पुष्पगुच्छ का निर्माण कर रहे हैं। उनकी इस कृति में शांति का संदेश फैलाता एक भव्य पुष्प जमीन पर अपनी शाखाओं के साथ एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण करता नजर आ रहा है। 

मूर्ति कला की साधक करुणा सिदार ने महात्मा गांधी के संदेश को दिखाने का प्रयास किया है। बापू हाथ में पुस्तक लिया करते थे और कमर में घड़ी बांधा करते थे। अपने शिल्प में करूणा इन दोनों वस्तुओं का निर्माण कर रही हैं। उन्होंने काष्ठ शिल्प के माध्यम से महात्मा गांधी द्वारा गीता के उपदेश पर चलने के लिए प्रेरित करते मूर्ति शिल्प का निर्माण किया है।

चित्रकार दीक्षा साहू तेजी से बढ़ रहे शहरों में जल संकट पर आधारित एक चित्र का यहां निर्माण कर रही हैं। बढ़ते कंक्रीट के शहरों के मध्य स्वच्छ प्रकृति द्वारा प्रदान मीठा जल शुद्ध जल किस तरह से कम पड़ रहा है इसको दर्शाता एक चित्र कैनवास पर दीक्षा द्वारा बनाया गया है।

चित्रकार जितेंद्र साहू बस्तर बारसूर के प्राकृतिक छटा वाले स्थान पर रहकर अपनी कला साधना कर रहे हैं। चित्रकला शिविर में वह शांति पाठ को दर्शाते चित्र का निर्माण कर रहे हैं एक महिला ध्यान लगाए बैठे इनके कैनवास पर बनाए चित्र में दिखाई पड़ती है। प्राकृतिक रंगों से सजा इनका कैनवास बेहद सुंदर लगता है।

शिविर में उपस्थित कलाकारों में प्रतिभागी जितेंद्र साहू, हुकुम लाल वर्मा, संदीप किंडो, राजेंद्र ठाकुर, राम इंदौरिया, मोहनलाल बराल, मनीषा वर्मा,करुणा सिदार , राजेंद्र सुनगरिया, दीक्षा साहू, विपिन सिंह राजपूत, चंचल साहू, श्याम सुंदर सिंह, छगेंद्र उसेंडी, सुरेश कुंभकार, अमनुल हक, प्रशंसा वर्मा, किशोर शर्मा,धरम नेताम और निखिल तिवारी अपनी कृतियों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 13 नवंबर तक चलने वाले इस शिविर में सुबह 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक रोजाना कलाकार अपने सृजन कर्म में जुटे हुए हैं। 

संपर्क-योगेंद्र त्रिपाठी 6264223543