छालीवुड के जाने-माने कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय का निधन…

रायपुर छालीवुड के जाने-माने कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय (42 वर्ष) का बुधवार देर रात निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वे स्व. प्रकाश उपाध्याय के सुपुत्र एवंं नितीन उपाध्याय के बड़े भाई थे। उनकी शवयात्रा दोपहर 12 बजे गोल चौक रोहणीपुरम स्थित निवास से मारवाड़ी श्मशानघाट के लिए निकलेगी। निशांत के निधन से छत्तीसगढ़ के कला जगत में गहरा शोक छा गया है।

छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के सुप्रसिद्ध कोरियोग्राफर व कलाकार निशांत उपाध्याय के निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदनाएं प्रगट की। मुख्यमंत्री ने निशांत के निधन को इंडस्ट्री के लिए बड़ी क्षति बताया है।

निशांत का बहुत ही छोटी उम्र से कला के प्रति रूझान था।

जब वे नृत्य विधा से जुड़े तो पिता के विरोध का सामना करना पड़ा था। घर से विरोध होने केे बावजूद वे कला साधना में जुटे रहे। तब एलबम का दौर था। जब निशांत स्थापित हो गए तो पिता ने भी बेटे की प्रतिभा का लोहा माना। सन् 2000 से ‘मोर छइंहा भुइंया’ से छत्तीसगढ़ी सिनेमा का दौर आया। फिर तो निशांत का छत्तीसगढ़ी सिनेमा से अटूट बंधन हो गया। वे सतीश जैन, मनोज वर्मा, संतोष जैन एवं लखी सुंदरानी जैसी फ़िल्म हस्तियों के चहेते कोरियोग्राफर थे। मनोज वर्मा की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हालिया रिलीज़ फ़िल्म ‘भूलन द मेज़’ में निशांत की ही कोरियोग्राफी थी और इसमें वे कलेक्टोरेट के कर्मचारी की भूमिका में भी नज़र आए थे।

निशांत जितने अच्छे कोरियोग्राफर थे उतने ही अभिनय में भी निपुण थे। छोटी भूमिकाएं करते रहने के बाद पहली बार उन्होंने सुंदरानी प्रोडक्शन की फ़िल्म ‘जय महामाया’ (2002) में बड़ा नेगेटिव किरदार निभाया था। फिर तो बड़े पर्दे पर नृत्य के साथ-साथ उनके अभिनय का सफर भी जारी रहा। कल देर रात से लगातार सोशल मीडिया में निशांत को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला चल रहा है, जो यह बताता है कि वे किस तरह लोगों के दिलों में रचे बसे थे।

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