फादर्स डे पर छत्तीसगढ़ की आईएएस प्रियंका शुक्ला ने लिखी शानदार कविता

वो न होते मेरे पास तो मैं…‘मैं’ नहीं होती,
न संग होते उनके प्रयास तो मैं…‘मैं’ नहीं होती..
जन्म से ही भाग्यशाली हूँ मैं उनके लिए,
यह हमेशा उन्होंने कहा…
पर जीवन के हर कदम पर उनका साथ-सौभाग्य है मेरा,
यह अकाट्य सत्य ही रहा….

कभी चलना सिखाने को ऊँगली पकड़ी,
कभी हाथ पकड़ “अ से ज्ञ तक” लिखवा डाला…
कभी गिरने से पहले ही थाम लिया,
कभी चोट खाने पर भी संभाला….

“Maths” और “Science” की ही तरह,
मेरी हर प्रॉब्लम को सिंपल बना दिया
जब भी मैं थक कर बैठ गयी,
मुझे फिर कोशिश का साहस दिया…

कभी गुस्से में डांटा,
कभी स्नेह से लाड किया…
खुद कम में ही संतोष कर,
मुझे सब कुछ सर्वश्रेष्ठ ही दिया…..

मैंने कभी न जाना “बेटी” हूँ,
बेटे से अधिक मान दिया ….
मेरी हर मांग.. हर जिद का,
कुछ ज्यादा ही सम्मान किया…

मेरी हर जीत…उनकी थी,
मेरा हर सपना उनका था……
मेरी हर हार …उनकी थी,
मेरा हर आंसू उनका था……

मेरे परों की ऊँचाइयाँ बने वो,
मेरी आशाओं की गहराइयाँ बने वो….
कुछ भी असंभव नहीं…यह मैंने उनसे सीखा,
उनका सतत संबल मेरे जीवन में पीपल के दरख़्त सरीखा……

कुछ लोगों का कहना है..
भगवान् होते ही नहीं हैं,
मेरे भगवान् तो मेरे साथ ही हँसते,
तो मेरे साथ ही रोते भी कभी हैं…..

“माँ” को प्रभु ने अपनी जगह भेजा,
ये तो सब ही जानते हैं…
पर ऐसा पिता भी मुझे दिया,
लगता है भगवान् मुझे कुछ ज्यादा ही मानते हैं…

आज मैं किसी डर से नहीं डरती,
क्योंकि मेरे “हीरो” मेरे साथ हैं …
हर मुश्किल मुझसे हारेगी,
कि मेरे सिर पर उनका हाथ है….

हर बेटी को ऐसा पिता मिले,
ईश्वर से मुझे सिर्फ ये ही कहना है…
एक पिता के अर्थ कई हैं,
यदि वो मेरे पापा के जैसे हैं…..

सच ही तो है…
वो न होते मेरे पास तो मैं…‘मैं’ नहीं होती,
न संग होते उनके प्रयास तो मैं…. ‘मैं’ नहीं होती….

~ डॉ. प्रियंका शुक्ला

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